नई दिल्ली : विश्व क्षयरोग दिवस के अवसर पर जाने माने चिकित्सक नरेश चावला ने इसके महत्व को रेखांकित किया है। विश्व क्षय रोग दिवस 24 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन 1882 का वह दिन है जब डॉ. रॉबर्ट कोच ने घोषणा की थी कि उन्होंने टीबी का कारण बनने वाले जीवाणु की खोज कर ली है, जिससे इस बीमारी के निदान और इलाज का मार्ग प्रशस्त हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 2022 में भारत में दुनिया में सबसे अधिक तपेदिक के मामले सामने आए, जो वैश्विक बोझ का 27 प्रतिशत है, भारत में 2022 में 2.8 मिलियन (28.2 लाख) टीबी के मामले दर्ज किए गए।
अमृतसर, पंजाब स्थित श्वास क्लिनिक के चीफ कंसल्टेंट एवम नाडा इंडिया के गुड हेल्थ एंबेसडर डाक्टर नरेश चावला कहते हैं टीबी एक भयंकर बीमारी है जिसके कारण व्यक्ति को शारीरिक ,समाजिक, मानसिक और आर्थिक नुकसान होता है। पूरे विश्व के एक चौथाई टीबी के मरीज भारत में ही मिलते हैं । विश्व में हर साल लाखों की संख्या में टीबी के मरीज बनते हैं और 15 लाख के करीब लोग टीबी के कारण मर जाते हैं। भारत में टीबी की हालात पर उन्होंने बताया कि चिंताजनक रूप से हर साल 26 लाख भारतीयों को टीबी हो जाती है। इसमें से एक हजार के करीब लोगों की मौत हो जाती है ।
नरेश चावला ने नाडा यंग इण्डिया के सदस्य को बताया कि सवाल यह कि जिस बीमारी का कारण पता है तथा जिसकी हर दवा उपलब्ध हो फिर भी वह बीमारी अभी तक एक एपिडेमिक की तरह पूरे देश में क्यों फैली हुई है। उन्होंने समझाया कि इसका सबसे बड़ा कारण मरीज का स्वास्थ्य केंद्रों में देरी से पहुंचना, इलाज का देरी से शुरू होना तथा मरीज का दवा कोर्स बीच में छोड़ना है । भारत 2025 तक टीबी मुक्त होने का सपना देख रहा है । सपने को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पूरे देश में चल रहा है। किन्तु अब टीबी के खत्म करने के लिए हमें इंटेंसिफाइड केस फाइंडिंग और एक्टिव केस फाइंडिंग को अपनाना होगा । झुग्गी झोपड़ी, ईंटों के भट्ठे, ट्राईबल एरिया और हाई रिस्क पापुलेशन के पास पहुंचना होगा। टीबी के नए मामले ढूंढ कर एवम तुरंत इलाज उपलब्ध कराने से टीबी के 10 नए मामले बनने से रोके जा सकते हैं।
नाडा इंडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक सुनील वात्सायन ने वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण का हवाला देते हुए बताया कि देश में बड़ी संख्या में लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। तम्बाकू की लत टीबी का एक बड़ा कारण बनके उभरी है। लेकिन तम्बाकू को लेकर सख़्त कानूनों की कमी नज़र आती है। कोटपा अधीनियम 2020 के सुझावों को लागू करके खतरे को टाला जा सकता है। तंबाकू नियंत्रण उपायों को लागू करके टीबी के मामलों और मृत्यु दर पर तंबाकू के उपयोग के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
टीबी एक जटिल चुनौती है। हाल के शोध ने तंबाकू के सेवन और टीबी के बीच संबंध पर चिंता बढ़ा दी है। जिसमें बताया गया कि कैसे धूम्रपान से टीबी का खतरा काफी बढ़ जाता है।तम्बाकू की लत को ज़िंदगी से बाहर करने के लिए सिर्फ एक दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। स्वस्थ जीवन शैली का पालन करके सेहत को संरक्षित करें। टीबी को हराने के लिए स्वयं को तम्बाकू से मुक्त करने की पहल लें क्योंकि तम्बाकू टीबी का एक बड़ा कारण होता है।नाडा इंडिया का मानना है कि युवा स्वास्थ्य राष्ट्रीय प्राथमिकता का विषय होना चाहिए। युवाओं की सेहत देश की सेहत का सूचक होती है । युवाओं को वैचारिक विमर्श का हिस्सा बनाकर उन्हें इस ओर आमंत्रित कर बदलाव का सच्चा साथी बनाने की जरूरत है। युवाओं को तम्बाकू एवम टीबी के रिश्ते को समझना होगा।
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