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Addressing the Challenges of Social Work Interventions in Schools and Colleges for Creating Healthy Campuses

The inclusion of trained school social workers is vital for addressing the rising threat of non-communicable diseases (NCDs) within India's educational institutions. While challenges persist, the potential for impactful change is immense. By empowering social workers and integrating them into school environments, India can effectively tackle this crisis, advancing wellness, disease prevention, and the creation of healthy campuses as envisioned in the National Education Policy (NEP) 2020. The future of social work within education holds great promise, with far-reaching implications for the nation's health. In today's rapidly evolving world, India's educational institutions face an unprecedented rise in non-communicable diseases (NCDs) and their risk factors, including tobacco, alcohol, and now digital addictions like gaming. The growing prevalence of these issues among youth presents a major challenge, calling for a well-coordinated prevention strategy within schools and
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Breaking the Cycle: Helping Friends Quit Weed by Siya Nada volunteer from Shimla

"Empowering Youth: Building Tobacco-Free Educational Institutions through Community Profiling,"  Siya Chohan student of UPES, Dehradoon  and Nada Volunteer    In our late teens, while my friends turned to smoking weed, I stood firm in my decision to abstain. Despite their respect for my choice, I couldn't ignore the toll weed was taking on their health and behavior. Concerned by their growing lethargy and detachment, I took a stand and voiced my worries. Thankfully, they listened, and together, we sought out healthier alternatives like hiking and sports to replace their weed habit. Through open conversations and professional support, we navigated a challenging journey marked by relapses and doubts, but ultimately, persistence led to their recovery. This experience taught me the value of compassion and perseverance in helping others overcome addiction, and it deepened my commitment to a drug-free lifestyle.  Reflecting on today's Youth Forum, led by Mr. Shabab Ahmad o

I Learn for People and from People: NYIN Member Dr.Nikita Gupta

  Dr. Nikita Gupta holds  a dental degree and have pursued a career in public health as a health professional. Her educational background has equipped me with the necessary skills and knowledge to tackle healthcare challenges. She has been exposed to various aspects of healthcare, from diagnosis and treatment to prevention and advocacy. Her passion lies in health advocacy. She Says "believe that healthcare should be accessible and affordable for everyone, and my aim is to make that a reality. Through my work in public health, I have witnessed the impact that systemic issues, such as poverty and lack of education, can have on people's health. I am committed to fighting for equitable healthcare for all, regardless of socio-economic status." Dr. Nkita focus on global health is rooted in her desire to make a positive impact beyond borders. She believes healthcare is a fundamental human right, and it should be a priority for governments around the world. She has experience

टीबी के मामले रोकने के लिए हाई रिस्क क्षेत्रों को पहचानना होगा

नई दिल्ली  : विश्व क्षयरोग दिवस के अवसर पर जाने माने चिकित्सक नरेश चावला ने इसके महत्व को रेखांकित किया है।   विश्व क्षय रोग दिवस 24 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन 1882 का वह दिन है जब डॉ. रॉबर्ट कोच ने घोषणा की थी कि उन्होंने टीबी का कारण बनने वाले जीवाणु की खोज कर ली है, जिससे इस बीमारी के निदान और इलाज का मार्ग प्रशस्त हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 2022 में भारत में दुनिया में सबसे अधिक तपेदिक के मामले सामने आए, जो वैश्विक बोझ का 27 प्रतिशत है, भारत में 2022 में 2.8 मिलियन (28.2 लाख) टीबी के मामले दर्ज किए गए। अमृतसर, पंजाब स्थित श्वास क्लिनिक के चीफ कंसल्टेंट एवम नाडा इंडिया के गुड हेल्थ एंबेसडर डाक्टर नरेश चावला कहते हैं टीबी एक भयंकर बीमारी है जिसके कारण व्यक्ति को शारीरिक ,समाजिक, मानसिक और आर्थिक नुकसान होता है। पूरे विश्व के एक चौथाई टीबी के मरीज भारत में ही मिलते हैं । विश्व में हर साल लाखों की संख्या में  टीबी के मरीज बनते हैं और 15 लाख के करीब लोग टीबी के कारण मर जाते हैं। भारत में टीबी की हालात पर उन्होंने बताया कि चिंताजन

नो स्मोकिंग डे पर नाडा इंडिया ने सख्त तम्बाकू कानूनों की मांग दोहराई

चंडीगढ़ : विश्व भर में 13 मार्च को मनाये जाने वाले   'नो स्मोकिंग डे ’ की कड़ी में तंबाकू सेवन पर अंकुश लगाने में गत दो दशको से प्रयासरत देशव्यापी संगठन - नाडा इंडिया फाउंडेशन ने एक बार फिर देश में तंबाकू पर नकेल कसने की दिशा में कड़े कानून लागू करने की पैरवी की है। तम्बाकू मुक्त कैम्पेन की कड़ी में आयोजित विभिन्न गतिविधियों के बीच नाडा इंडिया फाउंडेशन ने भी स्वयं से जुड़े देश भर के  युवाओं को फोरम के माध्यम से जोड़कर तम्बाकू मुक्त अभियान को मजबूती दी। कर्मवीर पुरस्कार विजेता और नाडा इंडिया के संस्थापक सुनील वात्स्यायन ने युवाओं को संबोधित करते हुये कहा कि यदि ध्रुमपान जैसी कुरीति को समाज और देश से मिटाना है तो इस दिवस को हमें मात्र एक दिन नहीं बल्कि रोज मनाने की जरुरत है।  ऐसे आयोजनों का उद्देश्य युवाओं के माध्यम से देश के कोने कोने में ध्रुमपान विरोधी मुहिम को मजबूती दी देना है । उन्होंनें बताया कि नाडा इंडिया केन्द्रीय और प्रदेश सरकारों से तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने की मांग करता रहा है। नाडा की मुहिम तब रंग लाई जब हिमाचल प्रदेश सरकार ने तंबाकू उत्पादों पर सीजीएआर टेक्स बढ़ाया। सुन

नाडा इंडिया ने युवा केंद्रित गतिविधिययों का अयोजन कर तंबाकू मुक्त आभियान को दी मजबूती 

  शिमला: तंबाकू सेवन को नियंत्रित करने के प्रयासरत देशव्यापी संगठन नाड़ा इंडिया ने अपने फरवरी माह में युवा अभियान और विभिन्न आयोजनों के माध्यम से तम्बाकू मुक्त मुहिम को मजबूती दी है।  संसद में पेश किये गये केन्द्रीय बजट की पूर्वसंध्या पे  नाडा ने युवाओं और बुद्धिजीवियों के माध्यम से सरकार पर जोर दिया कि वे तंबाकू से जुड़े उत्पादों पर टेक्स में वृद्धि करे। नाड़ा इंडिया फाउंडेशन ने केन्द्रीेय सरकार के साथ साथ प्रदेश सरकारों से भी आहवान किया है कि वे अपने राज्यों के बजट में इस प्रावधान को शामिल करें ।  नाडा इंडिया के संस्थापक और कर्मवीर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनील वात्स्यायन के अनुसार समय की मांग है कि लोग तंबाकू के दुष्प्रभावों से वक्त रहते पहचानें जिससे की एक सेहतमंद राष्ट्र का निर्माण किया जा सके। नाडा इंडिया की गतिविधियों में सरकार से आह्वान कर नीति निर्माण में अपना योगदान देना ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर युवाओं को इस मुहिम के लिये एकजुट भी करना है।  वर्तमान में सेहतमंद राष्ट्र का निर्माण, युवाओं को दायित्व होना चाहिये।   नाड़ा इंडिया के प्रतिनिधियों ने प्रदेश भर में समाज के प्रबुद्ध व्य

Nada India's forum on Himachal Tourism and Tobacco Control

New Delhi:  Tobacco use remains a significant public health challenge, impacting communities and the environment. Himachal Pradesh, despite commendable efforts, grapples with tobacco-related issues. Simultaneously, the state is renowned for its scenic beauty and ecotourism potential.  To address this Nada India Foundation organized Youth Forum on "Youth Perspectives on Tourism and Tobacco Control"    for young minds to explore the intersections between tobacco control, sustainable tourism, and environmental well-being. Rajinder Kumar, Head of Dept cum Assistant Professor, Department of Travel and Tourism Management, University of Ladakh, was the guest speaker at online session organized on 16th February 2024 The speaker discussed on variant topics.  Importance of eco-tourism in Himachal Pradesh:  It was Explored how tobacco use can undermine the principles of sustainable and responsible tourism. Highlighted the potential economic and health benefits of promoting a tobacco-f