Skip to main content

तम्बाकू मुक्त जीवन का संकल्प युवाओं को पहले से कहीं अधिक जागरूक बनाता है

शिमलाराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर दूरदर्शन केंद्र शिमला द्वारा आयोजित विशेष परिचर्चा 'आज की बात : राष्ट्र निर्माण में युवा प्रेरणा स्रोत' में भाग लेते हुए नाडा इंडिया की हेल्थ एडवोकेट रीता ने कहा कि समाज में नशे एवम तम्बाकू का चलन तेजी से बढ़ता गया है । नशे की लत कारण हर दूसरे घर में कोई नशा पीड़ित मिल ही जाएगा। हमें यह जान लेना चाहिए कि नशा करने वाला व्यक्ति केवल खुद को अंधकार में नहीं डालता बल्कि उसके साथ उसका घर भी बर्बाद हो जाता है । ऐसे हालात में घर वालों को ये समझ ही नहीं आता कि किस तरह से पीड़ित को नशे के जाल से निकालें ।  तम्बाकू हर तरह के नशे का गेट वे है। इसलिए समय रहते इसके खतरनाक प्रभाव  को जान लेना जरूरी है। देश एवम समाज को तम्बाकू मुक्त करने के लिए तम्बाकू नियमों विशेषकर COTPA के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने की जरूरत है।

सुश्री रीत ठाकुर जिला मंडी के करसोग तहसील से ताल्लुक रखती हैं। करसोग के मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी रीत अपने गांव घर को महत्त्व देती हैं। पांच सदस्यों के परिवार में बड़े पुराने लोग अभी जिंदा हैं। परिवार खेती किसानी से जुड़ा है। रीत की शुरुआती पढ़ाई वहीं करसोग में हुई। बड़ी हुई तो समाजसेवा की तरफ रुझान हुआ। रहा है। नाडा यंग इंडिया नेटवर्क के तम्बाकू मुक्त युवा अभियान जुड़कर जीवन ने नया मोड़ लिया।


युवा आईपीएस अधिकारी अदिति सिंह अपने कैरियर यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि इंजीनियरिंग करने बाद उनका रुझान सिविल सेवाओं की तरफ गया। देश सेवा के अपने सपने को पूरा करने की राह में उन्होंने कड़ी मेहनत को हथियार बनाया। महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हुए आपने कहा की इससे बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे  युवाओं के बीच तम्बाकू एवम नशे के चलन पर चिंता जाहिर करते हुए अदिति जी ने  हानिकारक प्रभावों पर ध्यान दिलाया। इस खतरे का सामना करने हेतु सरकारी प्रयासों एवम संबंधित तथ्यों और आंकड़ों पर चर्चा की। तम्बाकू के प्रभावों की चर्चा करते हुए खतरनाक बीमारियों का जिक्र किया ।

उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश में तंबाकू नियंत्रण संबंधी कानूनों को अधिक मजबूती देने की दिशा में तम्बाकू जागरूकता अभियान  कार्यक्रम महत्त्वपूर्ण हैं। हिमाचल में तंबाकू नियंत्रण अभियान को मजबूती प्रदान करने की दिशा में ऐसे प्रयास जरूरी हैं।स्वास्थ किसी भी देश की बड़ी पूंजी होती है। युवा शक्ति पूंजी होती है। युवाओं का स्वास्थ्य के प्रति सजग होना सबसे पहले जरूरी है।

नाडा इंडिया की रीता ने अदिति जी बात को बढ़ाते हुए ध्यान दिलाया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हिमाचल प्रदेश में कराए गए 2013 सर्वे में राज्य में तम्बाकू सेवन कर प्रतिशत 16.1 है। जबकि धुम्रपान की व्यापकता 14.2 प्रतिशत है। धुम्रपान रहित तम्बाकू की व्यापकता देश में हालांकि 3.1 प्रतिशत के साथ सबसे कम है। यह संतोषजनक है


कोटपा कानून की जानकारी आमजन में पहले से बेहतर है। किंतु स्वास्थ्य को लेकर  ज़मीनी स्तर पर बहुत किया जाना शेष है। देश में लगभग 13 मिलियन से भी ज्यादा लोग सालाना तंबाकू से उत्पन्न बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं । जबकि तंबाकू व नशाखोरी से ही दस मिलियन लोग इसकी लत में आकर गरीबी की और धकेले जाते हैं। ।तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए न्यूनतम  आयु को 18 से बढ़ाकर 21 कर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कोटपा में संशोधन करके सिगरेट की खुली   बिक्री पर प्रतिबंध लगाना किंतु महत्त्वपूर्ण  है। क्योंकि विगत दस वर्षो में बीड़ी और सिगरेट  किफायती उत्पाद बन गये हैं।

कोटपा संशोधन COTPA Amendment में तम्बाकू उत्पादों के पॉइंट ऑफ सेल्स एवम धूम्रपान क्षेत्र के बढ़ते चलन  को प्रतिबंधित करना एक अहम मांग है।  तंबाकू के उपयोग की शुरुआत और विस्तार को रोकने की इसमें क्षमता है।  कोटपा संशोधन लागू किया जाना समय की मांग है।  भारत में 27 करोड़ से अधिक तम्बाकू उपयोगकर्ता हैं। 20 करोड़ धुआँ रहित तम्बाकू उपयोगकर्ता और 10 करोड़ धूम्रपान करने वाले - जो कि 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र की आबादी का 28.6% है। तम्बाकू से हर साल 13 लाख से अधिक भारतीयों की मौत होती है

प्रत्येक वर्ष 2 करोड़ बच्चे यानी हर दिन करीब 5500 बच्चे तंबाकू की लत के चपेट में आते हैं। तंबाकू, शराब एवं ड्रग्स की चपेट में आए सभी व्यक्तियों की सहायता के लिए समाज को सामने आना होगा जिसमें युवाओं एवम तम्बाकू नियमों में बदलाव की एक महत्वपूर्ण भूमिका होगी । तम्बाकू सर्वे के मुताबिक 13-15 आयु वर्ग में से हरेक पांचवां किसी ना किसी रूप में तम्बाकू की लत का शिकार था। हेल्थ टैक्स समय की मांग है ! तम्बाकू मुक्त जीने की चाह को शक्ति प्रदान करते हुए राजस्व को जन केंद्रित योजनाओं की ओर मोड़ देने का प्रयास हेल्थ टैक्स है।

हेल्थ टैक्स:  एक समाधान

तंबाकू की खपत को विनियमित करने के लिए कई सार्वजनिक नीति उपकरणों में से, दुनिया भर के शोध के एक बड़े निकाय के आधार पर, उत्पाद शुल्क में वृद्धि को सबसे अधिक लागत प्रभावी में से एक माना जाता है। हेल्थ टैक्स कई देशों द्वारा उपयोग किया जाता है। उन उत्पादों पर लगाए जाने वाले उत्पाद टैक्स  हैं जिनका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर स्पष्ट नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जैसे तंबाकू। हेल्थ टैक्स विशेष रूप से उत्पाद शुल्क टैक्स से संबंधित है। जीएसटी जैसे बिक्री कर को हेल्थ टैक्स नहीं माना जाता  क्योंकि यह सापेक्ष कीमतों में बदलाव नहीं करता है । दूसरी ओर उत्पाद टैक्स विशिष्ट रूप से तम्बाकू के उपयोग से जुड़ी नकारात्मकता हतोत्साहित करते हैं । जिससे  सकारात्मक सामाजिक-आर्थिक परिणाम मिलते हैं ।

दुनिया के कई देशों की तुलना में भारत में तम्बाकू उत्पादों पर पर्याप्त शुल्क नहीं है । तम्बाकू की खपत और संबंधित नुकसान को कम करने में हेल्थ टैक्स की भूमिका है । इसलिए  हम हेल्थ टैक्स के प्रावधान की मांग एवं समर्थन करते हैं । तम्बाकू पर कर बढ़ाया जाना एक जरूरी कदम होगा क्योंकि स्वास्थ्य के साथ कभी रिस्क नहीं लिया जाता। आज का युवा तम्बाकू को लेकर जागरूक है। वो स्वास्थ्य का महत्व समझ रहा है । जीवन में खुशहाली की शुरुआत स्वास्थ्य से होती है।


तम्बाकू से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए हेल्थ  टैक्स लगाना सामाजिक स्वास्थ्य को बचाने में मदद करेगा ।  तम्बाकू  के प्रचार- प्रसार को रोका जा सकेगा । इसे समर्थन दे कर स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में हम अपना योगदान दे रहे हैं ।तंबाकू एक सामाजिक समस्या है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। तंबाकू में निकोटीन और कार्सीनोजन कई बीमारियों का कारण बनता है । 

इससे बचाव के लिए तंबाकू नियंत्रण और हेल्थ टैक्स को महत्वपूर्ण  है। तंबाकू सेवन से होने वाली समस्याएं सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती हैं।यह युवा पीढ़ी के लिए एक बड़ी समस्या है, जिससे उनके भविष्य को खतरा होता है। तंबाकू नियंत्रण में कोटपा एवं हेल्थ टैक्स आवश्यक हैं । सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके और समाज को इस खतरनाक आदत से मुक्ति मिल सके। हेल्थ टैक्स के माध्यम से आर्थिक संजीवनी भी संभव है।

 

Comments

Popular posts from this blog

Ban alcohol advertising and products: NGOs

India News By IANS, New Delhi: A new report by a group of NGOs Tuesday highlighted the ill-effects of advertising and marketing of alcohol on young people, and proposed a comprehensive ban on all kinds of marketing strategies that seek to portray drinking as normal. "To reduce alcohol consumption, it is very important that the governments enforce a comprehensive ban on all kinds of advertising of alcohol brands and products. "A separate government agency should be formed to monitor this ban," said the report titled "Alcohol Marketing and Regulatory Policy Environment in India" released here. The report was developed by the Public Health Foundation of India in collaboration with Delhi-based NGO Hriday and Swedish National Institute of Public Health. Monika Arora, director of the health promotions unit of Public Health Foundation of India blamed advertising for promoting the use of alcohol among youth. "It has been seen that children wh...

Bollywood Actor Challenges Liquor Legislation

Bollywood Actor Challenges Liquor Legislation NTDTV In an effort to discourage youngsters from consuming alcohol, the provincial government of India 's western Maharashtra state this June increased the legal age limit from 21 to 25. Khan calls this act of state government an infringement of individual ... < http://english.ntdtv.com/ntd t v_en/news_asia/2011-09-15/bol l ywood-actor-challenges-liquor - legislation.html >

Family is exposed to second-hand smoke that adds to their indoor pollution, a risk factor for NCDs says Suneel

Suneel Vatsyayan says " In our society, tobacco is comparatively more acceptable, affordable, and available"   Vinnie, Nada Health Advocate   Vinnie Choudhry is a student of management, pursuing her MBA from IIM Bangalore. She graduated in Economics from the University of Delhi. She has been associated with Nada India Foundation since her school days where she participated in a Pehchaan Radio club Show which waconducted to raise drug awareness amongst young people.  The following interview was conducted on phone with  Mr. Suneel Vatsyayan, founder of Nada India Foundation, which has been working for prevention of tobacco, alcohol and other drugs and non-communicable diseases for 20 years now. The organisation has been instrumental in rehabilitating the lives of several families whose members were caught in the web of addiction. Vinnie - Sir, Thanks for getting on call with us. Can you tell us about how you decided about setting up Nada India Founda...