कांगडा: हिमाचल कांगडा स्थित राजकीय महाविद्यालय सुग भटोली में नाडा यंग इंडिया ने एन एस एस ईकाई के सहयोग से विद्यार्थियो के लिए तम्बाकू कानूनों को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। तम्बाकू के विरुद्ध इस अभियान में स्टाफ सहित 50 विद्यार्थियो ने भाग लिया।
नाडा यंग इंडिया हिमाचल के संयोजक मंगल सिंह ने इस अवसर युवाओं में तंबाकू उपयोग एवम खतरों पर व्याख्यान दिया । नशीले दवाओं एवम प्रोडक्ट्स के हानिकारक प्रभावों पर ध्यान दिलाया। इस खतरे का सामना करने हेतु सरकारी प्रयासों एवम संबंधित तथ्यों और आंकड़ों पर चर्चा की। युवाओं को खुली सिगरेट और बीड़ी को लेकर राज्य के नियमों का उल्लेख किया। तम्बाकू के प्रभावों की चर्चा करते हुए कैंसर दिल की बीमारी, स्ट्रोक एवम फेफड़ों की बीमारी सहित मधुमेह जैसी बीमारियों का जिक्र किया । महाविद्यालय के प्रिंसिपल शशि भूषण जी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में तंबाकू नियंत्रण संबंधी कानूनों को अधिक मजबूती देने की दिशा में ऐसे कार्यक्रम महत्त्वपूर्ण हैं। हिमाचल में तंबाकू नियंत्रण अभियान को मजबूती प्रदान करने की दिशा में ऐसे प्रयास भविष्य में भी होने चाहिए।
एन एस एस ईकाई के संयोजक जगन कुमार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हिमाचल प्रदेश में कराए गए 2013 सर्वे के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में तम्बाकू सेवन कर प्रतिशत 16.1 है। जबकि धुम्रपान की व्यापकता 14.2 प्रतिशत है। धुम्रपान रहित तम्बाकू की व्यापकता देश में हालांकि 3.1 प्रतिशत के साथ सबसे कम है। वैश्विक वयस्क तम्बाकू सेवन द्वितीय सर्वे में पहले सर्वे की तुलना में आंकड़ों में तब्दीली आई है। सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क से इस समय राज्य में 32.5 प्रतिशत लोग घरों में प्रभावित हैं। जबकि सार्वजनिक स्थानों पर 12 प्रतिशत । भारत में दुनिया में तंबाकू खपत की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।महाविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रवक्ता शिवेंद्र कुमार ने बताया कि कोटपा अधिनियम की जानकारी आमजन में पहले से बेहतर है। किंतु स्वास्थ्य को लेकर हिमाचल में ज़मीनी स्तर पर बहुत किया जाना शेष है। स्वास्थ किसी भी देश की बड़ी पूंजी होती है। युवा शक्ति पूंजी होती है। नाडा यंग इंडिया युवाओं के महत्व को पहचानता है। नाडा यंग इंडिया स्वास्थ को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने का आह्वान करता है। आज तंबाकू एवम उससे जुड़े उत्पाद आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं । हालात को बदलने के लिए सरकारों एवम समाजसेवी संस्थानों को आगे आना होगा।
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