स्वास्थ्य मानव जीवन की सबसे बड़ी धरोहर है| एक अच्छा स्वास्थ्य एक अच्छे नागरिक को भी जन्म देता है| वैसे तो मनुष्य जीवन का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है| धीरे धीरे मनुष्य का समाजीकरण हुआ और फिर उसमे विज्ञान, तकनिकी और धर्म का समावेशीकरण भी हुआ| इस प्रकार से मनुष्य ने एक विकसित मानव जीवन के परत दर परत नए नए अध्याय लिखने शुरू कर दिए| इस मानवीय यात्रा में सब कुछ अच्छा अच्छा हुआ ऐसा नहीं बल्कि समय समय पर इसमें कुरूतियों और गलत तत्वों ने भी जुड़ना शुरू कर दिया जिसके फलस्वरूप मानव जीवन में बहुत सारे अवांछित प्रयोग भी हुए और इन्होने एक बड़े तबके को अपने जकड में लेना शुरू कर दिया|
शुरू शुरू में ये किसी दवाई के तौर पर प्रयोग में लिए जाने लगे पर धीरे धीरे इनमे शामिल तत्वों ने आदत में शुमार होना शुरू कर दिया| और एक दिन ऐसा ऐसा भी आया जब ये आदत मनुष्य की कमजोरी में तब्दील हो गयी| जी सही - समझा आपने मैं एकदम बात कर रहा हूँ समाज में तम्बाकू की बढती हुई लत के विषय में| ये वो समस्या है जो लाखों जीवन हर वर्ष लील रही है| सब जानते है लेकिन फिर भी युवा तबका विशेषकर इसकी चपेट में आ ही जाता है| ये अब एक अति गंभीर समस्या बन गया है|
तम्बाकू समस्या से निपटने के लिए देश में विदेश में सैंकड़ो सरकारी – गैर सरकारी संगठन अपने अपने ढंग से काम भी कर रहे है| इसी क्रम में नाडा इंडिया फाउंडेशन दो दशको से भी अधिक समय से इस विषय पर देश में काम कर रहा है| वर्तमान में पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश में ये संस्था वालंटियर युवाओं को साथ जोड़कर तमाम तरह के कार्यक्रम चला रही है| जिसमे सरकार, सरकारी अधिकारी, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ जुड़कर तम्बाकू निषेध करने की दिशा में काम कर रही है|
अपने इस अभियान के अंतर्गत 12 सितम्बर 2023 को पंजाब के अंतर्गत पंजाब यूनिवेर्सिटी जोकि चंडीगढ़ में है| वहां के सेण्टर फॉर पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के साथ मिलकर नाडा इंडिया फाउंडेशन ने एक दिवसीय वर्कशॉप – स्वास्थ्य के क्षेत्र में उद्यमिता के उभरते अवसर नामक विषय पर वर्कशॉप का आयोजन किया| मुझे ख़ुशी है कि इस वर्कशॉप को करने के लिए मुझे नाडा इंडिया फाउंडेशन ने अवसर दिया| इस वर्कशॉप में रोजगार के साथ युवाओं को कैसा जोड़ा जाए इस विषय पर जानकारी दी गयी| जैसा कि हम जानते है कि नशे की बढती प्रवृति में बेरोजगारी या नियमित रोजगार की कमी का बड़ा योगदान होता है| यदि युवाओं को सही करियर के अवसर मिले तो बहुत हद तक युवाओं को नशे की चपेट में आने से रोका जा सकता है| प्रयोग के लिए नाडा इंडिया फाउंडेशन ने इस कार्य्रकमका आयोजन किया|
कार्यक्रम में 50 से अधिक छात्रों ने भाग लिया| इस पूरे कार्य्रकम के अंतर्गत – आज के युवा के मन में क्या है से लेकर क्या क्या चुनोतियाँ वो देखते है से लेकर कहाँ कहाँ वो अवसर देख रहे है से लेकर किस प्रकार वो सफल करियर चुन सकते है आदि पर एक विशेष प्रेजेंटेशन के माध्यम से उनको समझया गया| उनके द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों का भी समाधान किया गया|
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से आये हुए 4 वालंटियर्स जोकि अमृतसर से आये थे उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों और कामों के बारें में भी वर्कशॉप में आये छात्रों को बताया गया| और किस प्रकार से वो भी नाडा इंडिया की पहल के साथ जुड़कर आगे बढ़ सकते है जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की गयी|
वर्कशॉप में नाडा इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन श्री सुनील वात्स्यायन जी द्वारा ऑनलाइन माध्यम से छात्रों से बातचीत की गयी| कुल मिलाकर ये नया प्रयोग बहुत सारगर्भित रहा| क्यूंकि कार्यक्रम के उपरांत लगभग २० छात्रों द्वारा स्वयं को नाडा इंडिया फाउंडेशन के साथ जुड़कर बतौर वालंटियर काम करने की इच्छा बताई गयी| जोकि इस कार्य्रकम की सफलता को दर्शाता है|
वर्कशॉप के अगले दिन ये सभी छात्र नजदीक के एक झुग्गी बस्ती में भी गए और वहां पर लोकल डिस्पेंसरी में विजिट करने भी गए| जहाँ पर उन्होंने लोकल डॉक्टर और अन्य सहयोगी स्टाफ से मिलकर नाडा इंडिया फाउंडेशन के विषय में बताया और किस प्रकार वो लोकल युवाओं से जुड़कर उनको सही जीवन निर्माण करने में मदद कर सकते है आदि विषय पर सहयोग देने की पहल की| इस पूरे प्रयोजन में सेण्टर फॉर पब्लिक हेल्थ के डिपार्टमेंट कोऑर्डिनेटर डॉ मनोज जी का बहुत सहयोग मिला|
एक प्रयोग था जिसके उपरांत मुझे इस तरह के और भी कार्यक्रम पूरे पंजाब में करने की प्रेरणा मिली| क्योंकि जब हम युवाओं से मिलते है तो सबके मन में अपने करियर को लेकर ही कई प्रश्न होते है| आमतौर पर ये प्रश्न युवाओं को चुभते है| ऐसे में एक सही मार्गदर्शन और उचित प्लेटफार्म से इनपर काम किये जाने की सख्त आवश्यकता है| मुझे लगता है कि जब हम नशे से दूर होने की बात करते है तो इसको रोजगार से भी जोड़ा जाना चाहिए ताकि युवा अपने जीवन के सही मकसद को पहचान सके और आगे बढ़ सके|
साथ ही साथ जो युवा पढ़े लिखे है उनको हमको अधिक से अधिक वालंटियर कार्यों से जोड़ना चाहिये क्योंकि सही मायने में वो अच्छे जीवन जीने का सन्देश उन तक पहुंचा सकते है जिनके पास साधन, अवसर और उचिर शिक्षा की कमी है| एक युवा दूसरे युवा का मार्गदर्शक बने यही मूल सिद्धांत है जोकि जमीन पर काम कर सकता है| एक लाइफ कोच के रूप में जो भी मैंने अतीत में या इस विशेष वर्कशॉप के माध्यम से सीखा है| उस आधार पर में यही कह सकता हूँ कि जीवन में अवसरों की कमी नहीं है बस सही हाथ और साथ का मिलना जरुरी है|
-रवि गुप्ता
कंसलटेंट – नाडा इंडिया फाउंडेशन
Comments
Post a Comment