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नाडा यंग इंडिया एवम सोशल मीडिया का रिश्ता बदलाव का रिश्ता है

                                                

नाडा यंग इंडिया नेटवर्क ने माध्यम का सकारात्मक प्रयोग कर युवाओं को तम्बाकू मुक्त करने का लंबा अभियान चलाया। हरियाणा हिमाचल एवम पंजाब में ज़मीनी स्तर पर किए कामों को अधिक सक्षम बनाने की दिशा में सोशल मीडिया ने शानदार भूमिका अदा की है। 

सोशल मीडिया एक मीडिया का नवीनतम रूप है। एक वर्चुअल दुनिया जिस तक इंटरनेट के जरिए पहुंच बना सकते हैं। हमारे आस पास एवम संसार को जोड़े रखने की शक्ति रखता है। यह बड़ी ही तेज गति से सूचनाओं का आदान प्रदान करने, हर क्षेत्र की सूचनाओं को समाहित करने का काम कर रहा है । इंटरनेट आधारित यह तकनीक देश दुनिया के कामकाज और व्यवहार को परिभाषित कर रही है। सोशल मीडिया एक ऐसा मीडिया है, जो प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक और समानांतर मीडिया से अलग तेवर रखता है

आज के वक्त  सोशल मीडिया जिंदगी जीने का एक तरीका बन गया है। अपरिचित से बंधुत्व की ओर ले जाने वाला माध्यम । सोशल मीडिया को अक्सर नकारात्मक चश्मे से देखा जाता है। किंतु वो सकारात्मक भूमिका अदा करने के लिए आया था । दरअसल यूजर्स ने उसे आज के हिसाब से इस्तेमाल किया है।  युवा वर्ग सोशल मीडिया का शायद सबसे बड़ा यूजर है। युवाओं पर इस माध्यम का जाहिर प्रभाव है। 

सोशल  साइट्स युवाओं को सामाजिक रूप से एक्टिव कर रहा । वो उन्हें अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ संवाद करने, नई चीजों पर संवाद करने, रुचियों को विकसित करने एवम ज़रूरी हस्तक्षेप का मंच देता है। सोशल मीडिया में प्रगति के साथ साथ गुंजाइश का अवसर मिलता है ।  

सोशल मीडिया का जन्म कभी वैकल्पिक मीडिया के रूप में हुआ था। लेकिन धीरे-धीरे संचार का लोकप्रिय माध्यम बन गया। अभियान बन गया। सोशल मीडिया नए साथियों के बीच कंटेंट साझा करने के लिए भी प्रेरित करता है। वेब आधारित यह नेटवर्किंग  जीवन शैली को परिभाषित कर रही है।

नाडा इंडिया हिमाचल के समन्वयक मंगल सिंह ने  अपने अनुभव शेयर करते हुआ कहा कि सोशल मीडिया के साथ हिमाचल में नए प्रयोग किए जा रहे हैं। ओटीटी नियमों के लागू होने पर सदस्यों को प्रेरित किया गया कि वो अपनी प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर दर्ज करें। यह अभ्यास सफल रहा युवाओं को लेकर ऐसी पहल भविष्य में भी की जानी चाहिए।

आमतौर पर सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्क को एक समझते है लेकिन यह सही नहीं है सोशल नेटवर्क  और सोशल  मीडिया दोनों अलग है ।  सोशल नेटवर्क सोशल मीडिया की एक वर्ग है। सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्क के अंतर को समझें के लिए हमें मीडिया और नेटवर्किंग  को अलग अलग समझने की जरुरत है। मीडिया का सरल शब्दो में अर्थ होता है इनफार्मेशन।जब की नेटवर्किंग  का मतलब होता है आपके और ऑडियंस के बीच रिलेशनशिप बनाना  । नेटवर्क में आपके फ्रेंड , कॉलीग , आपके रिश्तेदार , पडोसी इत्यादि हो सकते है।  इनके बीच बने रिलेशन को नेटवर्क कहते है।

 सोशल मीडिया सामाजिक अभियानों के लिए भी जाना जाता है। नाडा यंग इंडिया नेटवर्क ने माध्यम का सकारात्मक प्रयोग कर युवाओं को तम्बाकू मुक्त करने का लंबा अभियान चलाया। हरियाणा हिमाचल एवम पंजाब में ज़मीनी स्तर पर किए कामों को अधिक सक्षम बनाने की दिशा में सोशल मीडिया ने शानदार भूमिका अदा की है। 

मीडिया के उपयोग करने का तरीका  बदल गया है। दर्शक अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रहा है। आज का मिडिया केवल अख़बार, टीवी या रेडियो तक ही सीमित नहीं। यह एक वैश्विक क्रांति का रूप ले चुका है। कंटेंट क्रिएटर्स  के खुला मंच यहां उपलब्ध है। अक्टूबर, 2019 में दुनिया में 4.48 बिलियन लोग इंटरनेट के एक्टिव यूज़र थे।  विश्व जनसंख्या के 58 फ़ीसदी लोग इंटरनेट पर मौजूद हैं।  सोशल मीडिया के ज़रिये बड़े बदलाव  लाए गए हैं । कोई भी सामाजिक आंदोलन सोशल मीडिया के बगैर अब मुमकिन नहीं लगता।

यंग इण्डिया हिमाचल के सदस्य सनी सूर्यवंशी ने कहा नाडा यंग इंडिया नेटवर्क सोशल मीडिया के माध्यम से बदलाव के प्रयोग करती रही है। इस दिशा में सक्रिय रही है। युवाओं के स्वास्थ्य की दिशा में पिछले कई वर्षो से सक्रिय योगदान दे रही है। तंबाकू मुक्त युवा अभियान


इसका जीवंत उदाहरण है। नाडा इंडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय सांयोजक एवम कर्मवीर पुरस्कार विजेता सुनील वात्सायन के अनुसार तंबाकू का प्रचलन देश के लिए अच्छा नहीं। यह संकेत न केवल प्रदेश बल्कि देश की सेहत के लिये चिंताजनक है । इस पर समय रहते कदम उठाने की जरूरत है।

तंबाकू उप्तादों पर मौजूदा टैक्स का प्रावधान विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाए गए तंबाकू उत्पादों के रिटेल प्राईस से कम है। भारत में सिगरेट पर लगभग 52 फीसदी, बीड़ी पर 22 फीसदी और धुआंरहित तंबाकू पर 64 फीसदी टैक्स  है। डब्ल्यूएचओं के आंकड़े इस बात की वकालत करते हैं कि तंबाकू उत्पादों पर टैक्स का ईजाफा करने से तंबाकू उपयोग पर नियंत्रण करने में सार्थक बदलाव हुआ है।

तंबाकू से होने वाली बीमारियों के लाखों लोग अपनी जान गवां बैठते हैं जबकि अन्य इसकी तहलीज पर पहुंच जाते हैं। देश में प्रति वर्ष तंबाकू से मरने वाले लोगों की संख्या लगभग 13 लाख है। भारत सरकार के सेहत और परिवार कल्याण मंत्रालय के यूथ टोबैको सर्वे में पाया गया  कि लोगों में धूम्रपान की औसत शुरुआत 10 से 12 वर्ष की आयु में ही हो जाती जो कि लत में बदल कर जानलेवा रूप ले लेती है।

[Syed S.Tauheed]


*Nada Centre for Health Communication & Media Studies

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