Young India Network is a youth (14-30 years) driven network for the prevention of non-communicable diseases (NCDs) and its risk factors, formed with a vision of having a meaningful involvement of youth and People Living With NCDs in the advocacy of health agenda in India with a primary focus on alcohol and drug use as major risk factors for both communicable and NCDs. It aims to contribute in achieving the Goal 3 of Sustainable Development Goals,ensuring healthy lives .
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समाज सेवा को सोशल डिफेंस कहना चाहिए : परिमेश गौतम
नाडा यंग इंडिया नेटवर्क के जुझारू सदस्य परिमेश गौतम से मिलते हैं। परिमेश जिले चंबा हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं। किसान के घर से ताल्लुक रखने वाले परमेश के पिता किसान हैं। मां का गम है। दो साल पहले कैंसर की वजह से मां को खो दिया । कुल पांच सदस्यों के परिवार के सदस्य परिमेश की शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल में हुई। आपको बचपन से फौज में जाने का शौक था।पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद अपने ख्वाब को पूरा करने में लग गए। पांच साल तक इसके लिए अथक प्रयास किया। परीक्षा क्वालीफाई किया लेकिन कुछ मेडिकल आधार पर वो फाइनल नहीं जा सके। दिल को हल्का करते हुए वो सोशल वर्क से जुड़ गए।
उनके शब्दों में समाज के लिए कुछ करना सिपाही बनने से कम नहीं । परिमेश इसे सोशल डिफेंस कहते हैं। नाड़ा यंग इंडिया नेटवर्क से जुड़कर जमीनी स्तर पर काम कर समाज में परिवर्तन लाया। इससे पहले अपने क्षेत्र के युवाओं को फौज में जाने के लिए प्रेरित रहें। समाज सेवा के बाद खेती किसानी दूसरा सबसे प्रिय विषय है। अपने क्षेत्र चंबा को तम्बाकू मुक्त करने के लिए नाडा इंडिया फाऊंडेशन की स्थानीय इकाई के सदस्य के तौर पर अभियान चलाए।
नाड़ा इंडिया के तम्बाकू मुक्त युवा अभियान का हिस्सा होकर तंबाकू उत्पादों के हानिकारक प्रभावों को लेकर लोगों को जागरूक किया। परिमेश किसी भी जागरुक युवा की तरह बदलाव की सोच रखते हैं। उन्होंने हर साल तंबाकू के इस्तेमाल से लाखों लोग अपनी सेहत गंवा देने की बात पर चिंता जताई। युवाओं की सेहत बचाने के लिए युवा केन्द्रित कार्यक्रम का आह्वान करते हुए भविष्य की नीव की बात कही।
कोटपा जागरूकता अभियान की चुनौतियों के बारे में बात करते हुए कहा कि कोटपा को लेकर आमजन में जानकारी बहुत कम है । युवाओं में स्वास्थ्य को लेकर चिंता कम है। समाज में पूर्वाग्रह है। लोग नशे को दवा मान लेने की बड़ी भूल अक्सर कर बैठते हैं। जबकि तंबाकू व नशाखोरी के वजह से गरीबी की ओर धकेले जाते हैं। ग्रामीण इलाकों के जा कर बात पता चली कि तम्बाकू से घर परिवार तबाह हैं। हालात में बदलाव लाने के लिए यंग इंडिया नेतवर्क जमीनी स्तर पर काम कर रही है। कई युवाओं ने नशे को पूरी छोड़ दिया जबकि कई बदलाव की यात्रा से गुजर रहे हैं। नाडा यंग इंडिया के सदस्य स्वास्थ को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने का आह्वान करते हैं। आज तंबाकू एवम उससे जुड़े उत्पाद आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं । गांव घर को तम्बाकू मुक्त करने के लिए अभी एक लंबी लड़ाई लड़ी जानी बाकी है।
Bollywood Actor Challenges Liquor Legislation NTDTV In an effort to discourage youngsters from consuming alcohol, the provincial government of India 's western Maharashtra state this June increased the legal age limit from 21 to 25. Khan calls this act of state government an infringement of individual ... < http://english.ntdtv.com/ntd t v_en/news_asia/2011-09-15/bol l ywood-actor-challenges-liquor - legislation.html >
India News By IANS, New Delhi: A new report by a group of NGOs Tuesday highlighted the ill-effects of advertising and marketing of alcohol on young people, and proposed a comprehensive ban on all kinds of marketing strategies that seek to portray drinking as normal. "To reduce alcohol consumption, it is very important that the governments enforce a comprehensive ban on all kinds of advertising of alcohol brands and products. "A separate government agency should be formed to monitor this ban," said the report titled "Alcohol Marketing and Regulatory Policy Environment in India" released here. The report was developed by the Public Health Foundation of India in collaboration with Delhi-based NGO Hriday and Swedish National Institute of Public Health. Monika Arora, director of the health promotions unit of Public Health Foundation of India blamed advertising for promoting the use of alcohol among youth. "It has been seen that children wh...
"Empowering Youth: Building Tobacco-Free Educational Institutions through Community Profiling," Siya Chohan student of UPES, Dehradoon and Nada Volunteer In our late teens, while my friends turned to smoking weed, I stood firm in my decision to abstain. Despite their respect for my choice, I couldn't ignore the toll weed was taking on their health and behavior. Concerned by their growing lethargy and detachment, I took a stand and voiced my worries. Thankfully, they listened, and together, we sought out healthier alternatives like hiking and sports to replace their weed habit. Through open conversations and professional support, we navigated a challenging journey marked by relapses and doubts, but ultimately, persistence led to their recovery. This experience taught me the value of compassion and perseverance in helping others overcome addiction, and it deepened my commitment to a drug-free lifestyle. Reflecting on today's Youth Forum, led by Mr. Shabab A...
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