नाडा इंडिया सेहत और पर्यावरण के प्रति सजग, शुरू किया ‘यूथ फॉर वेलबिंग कैंपेन’
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चंडीगढ़, हरियाणा के लगभग 110 स्कूलों और काॅलेजों को देश की सेहत और प्र्यायवरण के प्रति सजग कर और उन्हें अपने अभियान में शामिल कर नाडा इंडिया फाऊंडेशन और नाडा यंग इंडिया नैटवर्क ने ‘यूथ फाॅर वैलबिंग कैंपेन’ की शुरुआत की है। इस कैंपेन के तहत तंबाकू और तंबाकू से जुड़े उत्पादों के सेल प्वाईंट का विरोध किया जा रहा है जो कि युवाओं की सेहत और देश के प्र्यायवरण से खिलवाड़ करती है। टाॅफियों, काॅनफेक्शनरी और चिप्स के सेल्स की आड़ में गुटका, तंबाकू, खैणी और सिगरेट की चुपचाप बिक्री का नाडा इंडिया पुरजोर विरोध करता है क्योंकि ऐसे स्टाल्स पर यह तंबाकू उत्पाद बच्चों और युवाओं को लुभाते हैं।
नाडा यंग इंडिया नेटवर्क की दीपशिखा कुमारी ने इसी संदर्भ में डेजिग्नेटिड स्मोकिंग एरिया (डीएसए) और पब्लिक स्मोकिंग पर पूर्ण रुप से पाबंदी की मांग की है जो कि कोविड 19 इन्फेक्शन के लिये हॉटस्पॉट साबित होते हैं और महामारी को एक बार फिर से बुलावा देते हैं।
हिमाचल और पंजाब के स्टेट कोऑर्डिनेटर मंगल सिंह ने बताया कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के तीन हजार से युवाओं ने इस मुद्दे के प्रति सजग किया गया और साथ ही कोटपा अमेंडमेंट 2020 के समर्थन में सात सौ से भी अधिक पत्र केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को लिखे गये हैं। इस समूचे अभियान में सांसद रमेश चन्द्र कौशिक और हिमाचल प्रदेश विधान सभा के डिप्टी स्पीकर डाॅ हंसराज का भी पूर्ण समर्थन प्राप्त है।
हरियाणा से नाडा के डिजाईन ऐक्टिविस्ट अक्षय शर्मा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार के भारत में 267 मिलियन लोग तंबाकू का सेवन करते हैं जो कि नाॅन स्मोकर्स को पैसिव स्मोकर्स में तबदील करते हैं। स्वास्थ्या मंत्रालय द्वारा जारी ग्लोबल एडल्ट्स टोबेको सर्वे -2 के अंाकड़ों के अनुसार 30‐2 फीसदी व्यस्क अपने ही वर्कप्लेस में सैकेंड हैंड स्मोकिंग की चपेट में आते हैं जबकि 21 फीसदी लोग सर्वाजनिक स्थलों में इससे अपने आप को बचा नहीं पाते हैं। उन्होंनें बताया कि आंकड़ें इस तरह चैकानें वाले हैं कि हरियाणा में हर साल 28000 हजार लोग जबकि पूर देश में 13 लाख लोग तंबाकू के सेवन से अपनी जान गवां बैठते हैं। इसलिये उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कोटपा 2003 अधिनियम में जल्द संशोधन की जरूरत है जिससे की बच्चों और युवाओं का भविष्य बचाया जा सके।
सिटिजंस वैल्फैयर ऐसोसियेशन के अध्यक्ष और नाडा गुड हैल्थ ऐम्बेसेडर एसके नायर ने तंबाकू के बढ़ते प्रकोप पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि सरकारों को इस मुद्दे के प्रति सचेत होने की आवश्यकता है। उनके अनुसार तंबाकू के इस्तेमाल की आयु सीमा 18 से बढ़ाकर 21 कर देनी चाहिये और साथ ही तंबाकू के प्रचार में जुड़े विज्ञापनों पर भी अंकुश लगाने चाहिये।
नेशनल टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम, हरियाणा की स्टेट हेड डाॅ रीटा कोटवाल ने टोबैको फ्री एज्युकेशनल इंस्टीच्यूशंस के लागू करने की मांग करते हुये कहा कि किसी भी तंबाकू वेंडर को यूनिवर्सिटी, कॉलेज या स्कूल या फिर किसी भी शैक्षणिक संस्थानों के 100 यार्ड के दायरे में तंबाकू बिक्री से रोका जाना चाहिए क्योंकि युवाओं में इसकी आसानी से उपलब्धता उनमें कार्डियोवास्कुलर, सांस की बीमारियों के साथ साथ कैंसर, डायबिटीज और हाइपरटेंशन आदि को न्यौता दे सकती है।
हिमाचल प्रदेश से जाने माने प्र्यायवरणविद् डाॅ अंजान कालिया के अनुसार हर साल लगभग 45 ट्रिलियन सिगरेट के जलने से प्र्यायवरण को गहरा नुकसान पहुंचता है। तंबाकू इंस्डट्री अपने लाभ के लिये प्र्यायवरण को ताक पर रख रहा है जिसका घातक परिणाम निकट भविष्य में सभी को भुगतने पड़ेंगें। Voiceover courtesy: All India Radio Chandigarh
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Sometimes, the most profound lessons come from stepping out into the world, engaging with people from all walks of life, and embracing the shared risks that come with unconventional learning experiences... Suneel My recent stay in Bengaluru took an unexpected turn when I decided to explore the back lanes of MG Road. Little did I know that a chance encounter with a psychology student would open up a fascinating experience of face reading right there on the bustling streets. As I strolled down MG Road, absorbing the energy and chaos of the city, my attention was drawn to a student of psychology standing just after the Metro station. What caught my eye was a playful cardboard sign that boldly declared, "Myth: Psychologists can read faces. Fun Fact: Psychologists can actually read faces!" Intrigued and amused, I approached him, struck by the audacity of his endeavor. Leaning against an electric pole, he invited people from the street to get their faces read. It took courage to st
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