प्रीत नामक युवा जोकि हरियाणा के स्कूल का छात्र है| अपना दर्द सांझा करते हुए अपनी आपबीती सुनाई
" तम्बाकू ने मेरे पिता को तब छीन लिया जब मैं केवल १२ वर्ष का था| मैं तम्बाकू के लिए अपने प्रिय को खोने का दर्द समझता हूँ| तम्बाकू को इतना सस्ता नहीं होना चाहिए ताकि फिर कोई भी अपने प्रियजन को ऐसे ना खोये| इसके लिए तम्बाकू के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए और ज्यादा से ज्यादा टैक्स इस पर होना चाहिए"
किसी भी देश की प्रगति मे उस देश के युवाओ का एक अमूल्य योगदान होता है| निश्चित ही युवा आबादी ही देश की असली संपदा है जिसके चलते कोइ भी राष्ट्र ना केवल प्रगति करता है बल्कि उस देश का भविष्य भी मजबूत बना रहता है| जब् युवा सक्छम होता है तो देश भी अपने आप सशक्त होने लगता है| लेकिन वास्तविकता का दूसरा कडवा सच ये भी है कि युवा बहुत आसानी से व्यसनो के जन्जाल मे फ़स् भी जाया करते है| युवा अवस्था मे जीवन मे बहुत तेजी से परिवर्तन आते है| | तेजी से बदलती उम्र ,बदलता सामाजिक परिवेश, नये नये फ़ैशन् और इस दौर मे तो एक और नया आयाम जिसे हम सोशल मीडीया कहते है और उसके विभिन्न प्रारूप जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सप्प आदि समेत अनेक डिजिटल संपर्क के बहुत सारे प्रयोजन भी जीवन से जुड गये है| इन सबके चलते युवा मानसिक अवसाद समेत तरह तरह के समाजिक तनावों से भी बहुत रुबरू हो रहा है| इस उम्र में बुद्धि सही या गलत का अंतर भी नहीं कर पाती है| जिसके परिणामस्वरूप युवा पीढ़ी जल्दी ही नशे के तमाम विकल्प जैसे कि शराब् हो या तंबाकु उत्पाद या फ़िर् कोइ ड्रग्स आदि के साथ जीवन जीने लगती है|
सच है ये समस्या है परन्तु यदि युवा जीवन मे सही मार्गदर्शन मिलना शुरु हो जाये और किशोर अवस्था से युवा होने के बीच युवा जीवन को उनके कैरियर के प्रति सचेत किया जाये और कैसे सही कैरियर बनाया जाता है| ये मार्गदर्शन मिलने लगे तो निश्चित ही एक बड़ा परिवर्तन देखा जा सकता है| भारत में खासकर तम्बाकू उत्पाद बड़ी ही आसानी से किसी को भी उपलब्ध हो जाते है| तमाम क़ानूनी प्रावधान होने के बावजूद भी अक्सर इन कानूनों की धज्जियाँ उड़ते हुए हम रोज अपने जीवन में देखते है|
तम्बाकू उत्पाद बेचने वाले उम्र देखे बिना किसी को भी आसानी से ये नुकसानदेह उत्पाद बेच देते है| यहाँ तक कि टीवी या अन्य प्रचार के माध्यम से सरोगेट प्रचार भी भरपूर बड़े बड़े फ़िल्मी सितारे करते पाए जाते है| जिनका अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव हम देखते है| आजकल तमाम फिल्मों /सीरियल / औ टी टी प्लेटफार्म पर धूम्रपान का चलन ना केवल आम हो गया है बल्कि उसको बड़े शाही अंदाज में ऐसे प्रस्तुत भी किया जाता है जैसे कि धूम्रपान करते ही आम आदमी कोई महामानव जैसा बन जाता है| ये सब देख कर युवा मन इसके आकर्षण का शिकार हो रहे हैं| भारत में लगभग २६८ मिलियन लोग तम्बाकू का उपभोग करते है जोकि विश्व में दूसरा सबसे बड़ा देश है जहाँ की इतनी बड़ी आबादी इसका शिकार है| जिसके फलस्वरूप एक आंकलन के मुताविक भारत में हर वर्ष १३ लाख से ज्यादा लोग सिर्फ तम्बाकू उत्पाद के चलते अपने जीवन को पूरा नहीं जी पाते है|
ये मुद्दा बहुत संवेदनशील है| देश में हज़ारो - लाखों की संख्या में युवा ये खुद अपने परिवार में इस दंश को झेल चुके है या महसूस करते है| अनेक युवा जो इस मुहीम से जुड़े है उनमे से एक प्रीत नामक युवा जोकि हरियाणा के स्कूल का छात्र है| अपना दर्द सांझा करते हुए अपनी आपबीती सुनाई " तम्बाकू ने मेरे पिता को तब छीन लिया जब मैं केवल १२ वर्ष का था| मैं तम्बाकू के लिए अपने प्रिय को खोने का दर्द समझता हूँ| तम्बाकू को इतना सस्ता नहीं होना चाहिए ताकि फिर कोई भी अपने प्रियजन को ऐसे ना खोये| इसके लिए तम्बाकू के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए और ज्यादा से ज्यादा टैक्स इस पर होना चाहिए"
ऐसा नहीं कि सरकार कोई कदम नहीं ले रही है| सरकारें अपने पूरे प्रयास तो कर रही है लेकिन वो अभी भी उस स्तर पर नहीं आये जोकि युवाओं को तम्बाकू उत्पाद के प्रयोग से बचा सकें| जिसमे सबसे अहम् रोल ना केवल इनकी आसान उपलब्धता का है बल्कि इनके ऊपर काम टैक्स होना भी है| विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी बड़े संस्थाएं भी तम्बाकू उत्पादों पर ७५% तक टैक्स बढ़ाने के लिए लगातार प्रेरित कर रही है| ताकि तम्बाकू उत्पादों को विशेषकर युवाओं से दूर करने में कुछ महत्वपूर्ण पहल की जा सके|
भारत में भी नाडा इंडिया फाउंडेशन जैसी अनेक सामाजिक संस्थाएं इस दिशा में लोगों को, संगठनों को, सरकार को इस विषय में लगातार जागरूक करने का काम कर रही है| विगत कुछ समय पूर्व पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु जैसे अनेक राज्यों में रहने वाले 500 से ज्यादा युवाओं ने स्वयं पहल करते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी, वित्त मंत्री जी और स्वास्थ्य मंत्री जी को तम्बाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने हेतु अपना विनती लिख कर अनुरोध किया है| बेशक एक छोटी पहल है लेकिन निश्चित ही एक प्रभावी और दूसरों को प्रेरणा देने वाली पहल भी है|
युवाओं को हमको तम्बाकू का नहीं बल्कि उन तमाम अवसरों का दोस्त बनाना है| जो उनके जीवन की तरक़्क़ी का कारक बने| अक्सर देखा जाता है कि अवसर तो अनेक है परन्तु उन तक पहुंचना समस्या के तौर पर देखा जाता है| आज जब समूचा विश्व कोरोना के दंश को झेल रहा है| बेरोजगारी की समस्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है| ऐसे में युवाओं को सम्बल देने की जरुरत है| उनको सही माध्यम और सही लोगों के साथ तालमेल करवाने की जरुरत है ऐसे में स्वरोजगार हो या स्टार्ट अप ये सब युवाओं को ना केवल आकर्षित करते है बल्कि उनको अपने लक्ष्य निर्धारण में भी मदद करते है| युवा पीढ़ी बहुत नाजुक अवस्था है जिसमे बहुत सारे द्वन्द एक साथ चलते है| जिसके चलते ही युवा नशे का शिकार हो जाता है| उसको लगता है कि ये नशा उसकी समस्या को कम करता है लेकिन कब वो लत का शिकार हो जाता है उसको इसकी कोई खबर नहीं होती| जिसके चलते ना केवल व्यक्ति स्वयं को बर्बाद करता है बल्कि परिवार भी बिगड़ते हुए अक्सर देखे जाते है|
आज जबकि भारत भी कोरोना जैसी अति भयंकर बीमारी का सामना व्यापक रूप से झेल रहा है| ऐसे में तम्बाकू का सेवन कोरोना के प्रकोप को बढ़ाने में संजीवनी का काम करता है| इसलिए आज देश के युवाओं को समझदारी का प्रयोग करते हुए एक जिम्मेदार नागरिक बनना होगा| युवा इसलिए क्यूंकि युवाओं के कन्धों पर देश का भार और प्रभार दोनों हो| जिस हेतु मजबूत और सशक्त युवा देश की सबसे बड़ी जरुरत है| अगर युवा स्वाबलंबी होगा तो निश्चित ही सक्छम भी होगा और सशक्त भी| ऐसे में आज विश्व युवा दिवस के पुण्य अवसर पर ये प्रतिज्ञा हर युवा को लेनी चाहिए कई वो देश के लिए शक्ति बनेगा नाकि बीमारी से ग्रसित भार| और सरकार को भी अपने प्रयासों को खासकर तम्बाकू उत्पादों पर टैक्स बढाकर एक दूरगामी पहल भी करनी चाहिए| आखिर ये सवाल देश के युवा जीवन को सशक्त बनाने का है
रवि कवि
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